आई नोट , भाग 1
अध्याय-1
एक बढ़िया ज़िंदगी
भाग-1
★★★
एक तकरीबन 35 साल का शख्स पुरानी सेकंड हैंड सफेद रंग की अल्टो कार के साथ पीठ लगाकर अपने सामने मौजूद फूल वाले को लगातार एक टक निहारे जा रहा था। उसके दोनों हाथ जेब में थे। हल्की सफ़ेद रंग की चेक शर्ट और ब्लैक रंग की पेंट उसके किसी दफ्तर के कर्मचारी होने की ओर इशारा कर रही थी। चेहरे पर किसी भी तरह का भाव नहीं था। आंखें न जाने कितने सारे गहरे राज दफन किए हुए थी। चेहरे की दाढ़ी वयस्क उम्र होने के कारण कठोर और सख्त थी। बीच-बीच में इक्का दुक्का सफेद बाल भी दिख रहे थे। होठों पर किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं हो रही थी, मगर होठ एक सूखी हुई मुस्कान को साफ तौर पर दिखा रहे थे। माथे पर छाने वाली गहरी लकीरे साफ तौर पर दिखा रही थी की भले ही वह इस वक्त कार के साथ पीठ लगाकर बिल्कुल शांत खड़ा है, मगर उसके मन मस्तिष्क में एक पूरी की पूरी दुनिया बसती है। उसमें ढेर सारे विचारों का आदान-प्रदान होता है। उसकी बातें सामने निकल कर आती है। वह वाद विवाद करता है। गुस्सा प्रकट करता है। उदास होता है। खुश होता है। मगर सिर्फ और सिर्फ अपने मन मस्तिष्क की दुनिया में। अपने मन मस्तिष्क की इस दुनिया की वजह से....वो अकेला होकर भी कभी अकेला नहीं। क्यों.... क्योंकि वह नहीं है।
“एक इंसान को अपनी जिंदगी में क्या चाहिए?” कार के साथ पीठ लगाकर खड़े शख्स के दिमाग में विचार आया “मैं यह सवाल आपसे पूछता हूं। आपसे मेरा मतलब मुझे देखने वाले, मुझे सुनने वाले, और मुझे पढ़ने वाले से, आप लोग सोच रहे होंगे क्यों ... क्योंकि मेरे लिए मेरी जिंदगी एक कहानी की तरह है। मैं हर वक्त यह सोचता हूं कि कोई ना कोई मुझे जरूर देख, सुन और पढ़ रहा होगा। यह दिलचस्प है ना...?” उसने सामने की तरफ चलना शुरू कर दिया। इस दौरान उसके हाथ अपनी पेंट की जेब में ही थे। “किसी इंसान का अपने दिमाग में यह विचार लेकर आना कि उसकी जिंदगी एक कहानी है। अगर असल दुनिया में यह बात किसी को कही जाए तो इस बात की शत-प्रतिशत संभावना है कि वह आप को पागल करार कर देगा। दुनिया आखिर भावना को समझती ही कहां है। वैसे इसमें देखा जाए झूठ भी क्या है? हर एक इंसान अपनी जिंदगी में पैदा होता है, वह बड़ा होता है, तमाम मुसीबतों का सामना करता है, उसकी जिंदगी में खलनायक आते हैं, और ऐसे ही एक दिन उसकी जिंदगी का अंत हो जाता है। बिल्कुल एक कहानी की तरह। एक ऐसी कहानी की तरह जिसमें शुरुआत भी होती है और अंत भी।”
वह शख्स चलता हुआ फूल वाले के पास आ गया। फूल वाले के पास आकर उसने अपने होठों पर एक हल्की सी भीनी मुस्कान दी और फूल वाले की तरफ देखा। फूल वाला तकरीबन सतरहा अट्ठारह साल का लड़का था। उसके चेहरे पर ठीक से दाढ़ी भी नहीं आई थी जो उसके अपरिपक्व होने की ओर इशारा कर रही थी। उसने पजामा और एक खुली हुई टी-शर्ट पहन रखी थी। अपने इस पहनावे की वजह से उसके हड्डियों के ढांचे जैसा दिखने वाला शरिर पूरी तरह से सामने नहीं आ रहा था। लड़का देखने में प्यारा था और किसी भी शख्स के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहा था।
शख्स ने अपनी मुस्कुराहट को कायम रखते हुए उस लड़के से सवाल किया “क्या मैं जान सकता हूं अभिनव तुम्हारा ही नाम है? वो अभिनव जिसे पता है कौन से शख्स को कौन सा फूल पसंद है?” अचानक उसने अपने होठों की लंबाई बढ़ाई और मुस्कुराहट को दोगुना कर लिया “वो अभिनव.... जो हर एक शख्स की बीवी की पसंद को बेहतरीन तरीके से जानता है?”
लड़का एक गुलदस्ते में फूल सजा रहा था। शख्स ने उनसे सवाल किया तो उसका ध्यान उस तरफ चला गया। उसने सवाल को ध्यान से सुना और खुशनुमा अंदाज में अपनी पलकें उठाते हुए जवाब दिया “जी जनाब, आपके सामने जो बंदा मौजूद है उसे ही सब प्यार से अभिनव कहते हैं। यह आसपास जितने भी मोहल्ले हैं, और उन मोहल्लों में जितने भी औरतें रहती है, चाहे वह शादीशुदा हो या फिर कुंवारी, सब की सब मेरा नाम जानती हैं। सिर्फ नाम ही नहीं जानती बल्कि उनके मुंह से मेरे लिए तारीफ भी निकलती है, वो भी भर भर के।”
“मैं इस बारे में जानता हूं।” शख्स ने अपनी मुस्कान को गायब कर दिया। मुस्कान गायब करने के बाद उसका चेहरा बिल्कुल भावहिन हो गया था। “मेरी बीवी... मेरी बीवी मानवी के मुंह से मैं तुम्हारी काफी सारी तारीफ़ सुन चुका हूं। वो.... क्या बताऊं वो खाते-पीते, सोते जागते, हर वक्त तुम्हारी तारीफ करती हैं। उसे तुम्हारे दिए हुए फूल काफी पसंद आते हैं। यहां तक कि वह तुम्हारी बातों को भी उतना ही पसंद करती है जितना कि तुम्हारे दिए गए फूलों को। अगर मैं कहूं कि वह मुझसे ज्यादा तुम पर ध्यान देती है तो यह बात भी यकीनन....यकीनन गलत नहीं होगी।” इतना कहकर उसने अपने एक हाथ को बाहर निकाल लिया और उसे हल्के से अपनी दाड़ी पर फेरने लगा।
“अजी...” लड़के ने नाटकीय अंदाज में सलाम अदा किया “अजी यह तो हमारी खुशनसीबी है... जो हम इतनी कम उम्र में होने के बावजूद हसीनाओं के दिलों में राज करते हैं। उनकी नींदे चुराते हैं, उनका करार चुराते हैं, मैं इसके लिए आपका.... और आपकी पत्नी का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हुं।” इतना कहते-कहते उसने खुद को सामने की ओर झुकाते हुए सलाम भी अदा कर दिया।
शख्स के लबों की मुस्कुराहट वापस लौट आई। उसके माथे की हिलती जुलती लकीरों ने उसके मस्तिष्क के विचारों को दोबारा प्रकट किया “आखिर एक इंसान को अपनी जिंदगी में क्या चाहिए? मेरे सामने मौजूद लड़के के नजरिए से देखा जाए तो ढेर सारी तारीफ, लोगों से, लोगों की बीवी से। और मेरे नजरिए से देखा जाए तो... अपनी बीवी का अटेंशन। भला कोई भी पति इस दुनिया में ऐसा क्यों चाहेगा कि उसकी बीवी उसे अटेंशन ना देकर एक फूल वाले को अटेंशन दे।” शख्स के चेहरे के भावों ने हल्का सा परिवर्तन लिया और वह ठंडे गुस्से में बदल गए। “गली पर खड़े होने वाले एक फूल वाले को... जो... जो... जिसकी उम्र भी इतनी नहीं कि वह किसी को बिस्तर के सुख भी दे पाए। ना जाने क्यों.... ना जाने क्यों लोग इस तरह की फालतू चीजों पर ध्यान देते हैं।”
लड़के ने सलाम करने के बाद अपना चेहरा ऊपर की तरफ उठाया और सामने खड़े शख्स से पूछा “क्या आपको अपनी खूबसूरत बीवी के लिए कुछ चाहिए? कोई खूबसूरत सा फूल? गुलाब का...? नहीं! माफी फरमाइएगा। आपकी बीवी तो गुलाब का फूल पसंद ही नहीं करती... उसे तो गुलाब के फूल से सख्त नफरत है। आपकी बीवी लाल रंग के गुलाब के फूलों की बजाय सफेद रंग के फूलों को ज्यादा पसंद करती है।” लड़के ने कहा और अपने सामने मौजूद ढेर सारे फूलों में से कुछ सफेद रंग के फूल निकालकर शख्स की तरफ बढ़ा दिए। “यह लीजिए जनाब... आपकी खूबसूरत बीवी इन्हें जरूर पसंद करेगी?”
शख्स ने फूलों को पकड़ा और उन्हें हल्के अंदाज में सुघतें हुए उनकी खुशबू को महसूस किया। खुशबू को महसूस करने के बाद उसने लड़के से कहा “मगर मुझे नहीं लगता मेरी बीवी बस इतने से फूलों से खुश हो पाएगी। उसे... उसे कुछ और भी चाहिए।”
लड़के ने हैरानी से अपनी आंखें बड़ी की “कुछ और भी चाहिए....मगर क्या....!”
शख्स ने फूलों को वापस वही रखा जहां से लड़के ने उठाया था और अपनी जेब से एक कार्ड निकाल कर लड़के को देते हुए बोला “मेरी बीवी चाहती है तुम आज रात रखी जाने वाली एक पार्टी में अपने खूबसूरत फूलों की सजावट का प्रदर्शन करो। मेरे कहने का मतलब तुम पार्टी के लिए जगह को डेकोरेट करो। यह उस जगह का एड्रेस है जहां पर पार्टी होनी है। तुम्हें इसके लिए अच्छी खासी कीमत भी मिलेगी।”
“मगर मैं डेकोरेशन का काम नहीं करता... मेरे घर वाले... मुझे रोज रात को जल्दी घर पर जाना होता है। उन्हें बेमतलब फिकर होगी।” लड़के ने अपने कंधे उचकाए।
शख्स ने अपनी घड़ी की तरफ देखा। शाम के तकरीबन 6:00 बजने को हो रहे थे। घड़ी की तरफ देखने के बाद उसने लड़के से कहा “तुम चाहो तो अभी इस वक्त भी इस जगह पर जाकर डेकोरेशन का काम कर सकते हो। जगह को डेकोरेट करने में तकरीबन 2 घंटे का वक्त लगेगा, इसके बाद तुम अपने घर चले जाना। तुम्हारी घर वाली समस्या भी दूर हो जाएगी और मेरी बीवी की रखी जाने वाली पार्टी में भी चार चांद लग जाएंगे।”
“मगर मेरी दुकानदारी....?”
“उसकी फिक्र मत करो। मैं इसके लिए तुम्हें ज्यादा कीमत अदा कर दूंगा। अफकोस, मेरी बीवी तुम्हारे काम से खुश होती हैं, और मैं, मैं उसकी खुशी से। मैं उसकी खुशी से खुश होता हूं...तो इतना तो किया ही जा सकता है।”
लड़के ने अपनी आंखें तिरछी की और मजाकिया अंदाज में बोला “आपकी बीवी को खुश करना आपके लिए महंगा पड़ सकता है।”
शख्स की आंखें एक पल के लिए लड़के के चेहरे पर आकर ठहर गई। बिल्कुल शांत और बिना किसी भाव के। उसने अपनी इसी भाव के साथ कहा “मुझे इससे कोई एतराज नहीं” और कार्ड को दोबारा लड़के की तरफ कर दिया।
लड़के ने मुस्कुराहट दिखाई और कार्ड पकड़ लिया। कार्ड पकड़ने के बाद उसने कहा “रात को 8:00 बजे से पहले आपको यह जगह सजी हुई मिलेगी। मेरा वादा रहा।” और उसने अपने चिर परिचित अंदाज में सलाम भी अदा कर दिया। सलाम अदा करने के बाद वह दोबारा अपने फूलों वाले कामों में खो गया। फूलों का गुलदस्ता सजाने और उन्हें बाहर निकालने के काम में।
वहीं शख्स कुछ देर तक बिना किसी भाव के लड़के को देखता रहा, इसके बाद उसने अपने दोनों हाथ जेब में डाले और अपनी कार की तरफ जाने लगा। कार की तरफ जाते वक्त उसके मस्तिष्क के विचारों ने दोबारा अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। एक ऐसे अंदाज में जो उसकी किसी तरह की कामयाबी को प्रकट कर रही थी। किसी गहरी कामयाबी को।
“एक इंसान को अपनी जिंदगी में क्या चाहिए? शायद यह ऐसा सवाल नहीं जो यहां पूछा जाए। सवाल यह होना चाहिए कि एक इंसान को जिंदगी में जो भी चाहिए उसे पाने के लिए उसे क्या करना चाहिए। वह अपनी जिंदगी में जो भी चाहता है, उसे पाने के लिए उसे किस हद तक जाना चाहिए। मैं आप लोगों का जवाब नहीं जानता, मगर मेरा जवाब साफ है। मुझे अपनी बीवी का अटेंशन चाहिए, फुल अटेंशन, और इसे पाने के लिए मैं किसी भी हद तक जा सकता हूं। हो सकता है लोगों के लिए यह बात मायने ना रखें, और वह इसे एक आम बात समझे। मगर मेरे मामले में ऐसा नहीं है। मैं इसे आम बात बिल्कुल भी नहीं समझता। क्यों... मैं नहीं जानता। बस मैं नहीं.... मैं नहीं समझता।”
वह अपनी कार में बैठा और कार स्टार्ट की। कार स्टार्ट करने के बाद उसने आखरी मर्तबा लड़के की तरफ देखा जो अब कार्ड वाली जगह की ओर जाने की तैयारी कर रहा था। शख्स ने देखकर मीठी मुस्कान दी और मीठी मुस्कान देकर कार चलाते हुए वहां से चला गया।
★★★
Karan
11-Dec-2021 05:15 PM
Behtreen kahani h aapki...
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Sana Khan
05-Dec-2021 08:14 AM
Good story
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Sana Khan
03-Dec-2021 07:22 PM
Good
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